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आंसुओं से चुपचाप खेलती हैं बेटियां

आप मेरे गांव में भी आके देख लो हे राम , कैसे-कैसे कष्ट यहां झेलती हैं बेटियां । प्यार वाले दायरे से दूर होकर अंगना में , आंसुओं से चुपचाप खेलती हैं बेटियां ।। जिंदगी की सूखी हुई झील के किनारे तक , स्वाभिमान का शिकार ठेलती हैं बेटियां । बहू, बेटी ,बहन और मां […]

बैठे हैं

हाथ में लेके ताज, बैठे हैं, जाओ मिल लो, वो आज बैठे हैं ।। नन्हीं चिड़ियों को कैद में रखना, इन बगीचों में बाज बैठे हैं ।।

गज़ब की राजनीति है साब

गज़ब की राजनीति है साब बारिश का मौसम आते ही सारे मेंढक फूल गए । टर्र -टर्र के चक्कर में हम कविता लिखना भूल गए ।। प्यासी भैंस घुसी हैं जब से राजनीति की पोखर में । गन्दी नाली के सब कीड़े पूंछ पकड़कर झूल गए ।।