गज़ब की राजनीति है साब

गज़ब की राजनीति है साब

बारिश का मौसम आते ही सारे मेंढक फूल गए ।

टर्र -टर्र के चक्कर में हम कविता लिखना भूल गए ।।

प्यासी भैंस घुसी हैं जब से राजनीति की पोखर में ।

गन्दी नाली के सब कीड़े पूंछ पकड़कर झूल गए ।।

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बैठे हैं

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