गज़ब की राजनीति है साब

गज़ब की राजनीति है साब

बारिश का मौसम आते ही सारे मेंढक फूल गए ।

टर्र -टर्र के चक्कर में हम कविता लिखना भूल गए ।।

प्यासी भैंस घुसी हैं जब से राजनीति की पोखर में ।

गन्दी नाली के सब कीड़े पूंछ पकड़कर झूल गए ।।

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कविता

खिड़कियों पर जालियां हैं, ये पता कैसे चले ? युद्ध की तैयारियां हैं, ये पता कैसे चले ? तन बदन की सब नसें दुखने लगीं हैं इन दिनों, कौन सी बीमारियां हैं, ये पता कैसे चले ? बैग में हथियार होंगे, ये हमें अनुमान था, कील हैं या आरियां हैं, ये पता कैसे चले ? […]

खिड़कियों पर जालियां हैं

खिड़कियों पर जालियां हैं, ये पता कैसे चले ? युद्ध की तैयारियां हैं, ये पता कैसे चले ? तन बदन की सब नसें दुखने लगीं हैं इन दिनों, कौन सी बीमारियां हैं, ये पता कैसे चले ? बैग में हथियार होंगे, ये हमें अनुमान था, कील हैं या आरियां हैं, ये पता कैसे चले ? […]

बैठे हैं

हाथ में लेके ताज, बैठे हैं, जाओ मिल लो, वो आज बैठे हैं ।। नन्हीं चिड़ियों को कैद में रखना, इन बगीचों में बाज बैठे हैं ।।