हम हैं इस पार पर घर तो उस पार है

हम हैं इस पार पर, घर तो उस पार है !

बीच में उम्र की एक दीवार है !!

प्रेम के पनघटों पर छले जाएंगे !

एक दिन सब यहां से चले जायेंगे ।!

देह के दीप में, प्रीत बाती बने,

अनवरत रात दिन हम जले जाएंगे !!

नेह का सिर्फ़ इतना ,कथानक है कि,

श्वांस का श्वांस पर जैसे अधिकार है !!

हम हैं इस पार पर, घर तो उस पार है !

बीच में उम्र की एक दीवार है !!

हर घड़ी मोतियों की ही आशा रही !

कल ये तोला रही आज माशा रही !!

बिन सहारे के रस्सी पे चलती हुई ,

ज़िंदगी नट के जैसा तमाशा रही !!

लेख किस्मत के कोई भी पढ़ न सका ,

वक्त खुद में बड़ा एक फनकार है !!

हम हैं इस पार पर, घर तो उस पार है !

बीच में उम्र की एक दीवार है !!

जो भी रूठे हैँ उनको मनाने तो दो !

और दीवार मिलकर गिराने तो दो !!

मुद्दतों से जो शिकवे शिकायत हैँ वो ,

उनको आपस में सुनने सुनाने तो दो !

धीरे -धीरे यूँ ही शांत हो जाएगा,

मन के सागर में जो भी छिपा ज्वार है !!

हम हैं इस पार पर, घर तो उस पार है !

बीच में उम्र की एक दीवार है !!

Related Post

वृद्धाश्रम बन जाते हैं

जब- जब बच्चे अपने घर के, जड़ कुटुंब ठुकराते हैं ! तब -तब इस पावन वसुधा पर,वृद्धाश्रम बन जाते हैं !! धूप के आगे तेज हवा भी, मद्धम होती जाती है ! घर में रक्खी रद्दी की कीमत कम होती जाती है !! जैसे माला में फूलों का , हार ज़रूरी होता है ! जीवन […]

मेरा गांव मेरा देश

पाँच सितारा इक होटल में, मैने अपने गांव को देखा ।। खट्टे बेरों वाली झाड़ी, दो गमलों में लगी हुई थी । एक पुरानी घोड़ा गाड़ी, दरवाजे पर खड़ी हुई थी । शीशे की सब दीवारों पर, काली – पीली छांव को देखा, पहली मंजिल पर देखा था, चूल्हे से बतियाता आँगन, सुबह की सरगम […]

बिटिया का भाग्य

मुद्दतों के बाद बेटी, माँ से मिलने गांव आयी । भाई की आवाज सुनकर, भाई को पहचान पाई ।। लाडली को देखते ही, प्रेम का सागर यूँ छलका । मां के मन का वृद्ध पंछी दूर उड़ जाने को मचला ।। बंद पलकों में खुशी के दीप सब जलने लगे थे ।। प्रेम के प्यासे […]