दुख दर्द के बहाने रिश्तों को आजमाना

दुख दर्द के बहाने रिश्तों को आजमाना ।

कितना अजीब है ये दुख दर्द का बहाना ।।

इस युग में आदमी की फितरत ये हो गयी है,

शीशे की छत बनाकर, छप्पर को भूल जाना ।।

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